Thursday, 7 August 2008

कुछ चाहतें ऐसी भी थी...

ग़र धडकनों की ताल को मैं गीत दूँ, संगीत दूँ,
हर ताल में, हर लय में गूंजे तेरी याद और सिर्फ़ तू!!

ग़र चक्षुओं के कटघरे में छुपे इन सपनों को मैं,
इक नाम दूँ, इक आयाम दूँ,
हर स्वप्ना में हर ख्वाब में,
महकी सी तेरी ही खुशबू!!!

ग़र तू कहे जीवन की इन राहों पे कोई साथ हो,
तो मैं कहूँ हर राह में हर मंजिल पर तेरी आरजू...

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